लोक भाषा में लोक संस् कृति का निर्वाह करते हुए लोकानुभूति, लोक प्रकृति, लोकाराधना, लोक वेदनस, लोक विसंगतियों, लोक मान् यताओं और लोक विश् वासों का लोक प्रचलित मुहावरों तथा लोकोक्तियों का भरपूर प्रयोग करते हुए कवि पीयूष ने अपनी अवधी कविताओं की रचना की है।